Monday, July 19, 2010

प्रगति मैदान की सैर , 17/07/2010


शनिवार को घुमने प्रगती मैदान गया था . बहुत उमस था , हल्की बारिस हुई और उमस दुगुनी हो गयी . खैर मम्मी के कहने पर पापा प्रगती मैदान ले गए . वहा एक एक्सपो लगा हुआ था . मानसरोवर झील पानी से लबालब थी. झील में पानी देखकर बहुत अच्छा लगा , पिछले बार जब हम मई में वहां गए थे तो झील में एक बूंद भी पानी नहीं था , पर इस बार पानी था. दो घंटे हम वहां रहे फिर चांदनी चौक गए . वहां गुरुद्वारा सीशगंज साहिब में जाकर मत्था टेका .गुरुवाणी सूनी . फिर पराठे वाली गली गए , पर पराठे नहीं खाए , वहां के दूकान में गन्दगी थी . फिर हम पेट पूजा करने हल्दी राम, रेस्टोरेंट में गए .वहां हमने छोले भटूरे , राज कचोरी और नुडल्स खाए फिर घर वापस





मानसरोवर झील



\.

छोले भठूरे

19 comments:

Akanksha Yadav said...

वहां हमने छोले भटूरे , राज कचोरी और नुडल्स खाए फिर घर वापस ...Akele-akele, Kuchh idhar bhi Parcel karo Madhav.

संगीता पुरी said...

घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??

Akshitaa (Pakhi) said...

Chhole-Bhathure....Yami-Yami.

रंजन said...

mast.. maujaa hi mauja..

love

माधव( Madhav) said...

@ संगीता पुरी

सही कहा आपने , भठूरे पापा ने उडाये मुझे तो बिलकुल भी नहीं दिया

मनोज कुमार said...

आपके साथ यह सफ़र अच्छा रहा।

नीलम शर्मा 'अंशु' said...

अरे सोना, यह सब चटर-पटर खाते वक्त हम सबको भी याद कर लिया करो। तस्वीरें देखकर तो जी ललचा गया। वैसे हल्दीराम की उस दुकान पर 2008 में एक दिन लंच किया था। हां परांठे वाली गली अभी तकी नहीं आजमाई। तुम्हारे मम्मी-पापा तुम्हें खूब तफ़रीह करवाते हैं। सही में, मौजां ई मौजां तुम्हारी तो।

Tafribaz said...

संगीता पुरी July 21, 2010 4:33 PM

घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??

Tafribaz said...

संगीता पुरी July 21, 2010 4:33 PM

घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??

Tafribaz said...

संगीता पुरी July 21, 2010 4:33 PM

घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??

Tafribaz said...

संगीता पुरी July 21, 2010 4:33 PM

घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??

Tafribaz said...

संगीता पुरी July 21, 2010 4:33 PM

घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??

Tafribaz said...

संगीता पुरी July 21, 2010 4:33 PM

घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??

Tafribaz said...

संगीता पुरी July 21, 2010 4:33 PM

घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??

Chinmayee said...

तुम्हारे साथ सैर सपाटा करके मज़ा आगया माधव !

संजय भास्‍कर said...

तुम्हारे साथ सैर सपाटा करके मज़ा आगया माधव !

नीरज मुसाफ़िर said...

ओहो हो हो
भटूरा तो माधव के मुंह से भी बडा है।

रावेंद्रकुमार रवि said...

इस पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है!

Sunita Sharma Khatri said...

माधव जी आपका ब्लाग बहुत अच्छा है आपके पापा आपसे बहुत प्यार करते है तभी तो उन्होने आपने ही क्षण को कैमरे में कैद किया है बहुत अच्छा ।
गंगा के करीब विजट करने का शुक्रिया।

 
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