Wednesday, January 13, 2010

मै आदमी बनकर जीना चाहता हूँ


मै आदमी बनकर जीना चाहता हूँ
न की क्रम संख्याँ
और जो कुछ भी चाहता हूँ
कल नहीं
आज पाना चाहता हूँ !

6 comments:

Bhawna Kukreti said...

hello madhav , aaj tumse mil kar achha laga , aur haan sahi hai bachpan hi to aisa kah sakta hai.............

Anonymous said...

Good !!

महेन्द्र मिश्र said...

मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामना . भगवान सूर्य की पहली किरण आपके जीवन में उमंग और नई उर्जा प्रदान करे...

देवेन्द्र पाण्डेय said...

अभी तो आप बच्चे ही ठीक हैं कहे को आदमी बनने के चक्कर में पड़ते हैं !
आज मकर संक्रांति है छत पर जाईये और पतंग उडाइए.

Unknown said...

phle hero to ban lene de yar bad m admi banne ki sochege

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

 
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