दिल्ली से ट्रेन खुलते ही मुझे नींद आ गयी , नींद खुली तो बीत चुका था , नींद से उठने के बाद भी मै सुस्त ही बना रहा सो पापा को चिंता हुई मेरी तबियत के बारे में , पर मम्मी ने पापा को बताया की सब कुछ ठीक है , लखनऊ आते आते रात हो गयी और मै फिर सो गया . सुबह मुगलसराय के बाद मेरी नींद खुली , गाडी दिलदारनगर के बाद बक्सर रुकी , बक्सर मेरे नाना नानी रहते है , दोनों मुझसे मिलने के लिए स्टेशन आये थे , हमारी ट्रेन दो मिनट के लिए बक्सर रुकी , नानी ने मुझे गोद में लिया पर मै तुरंत उनके गोद से भाग लिया , ट्रेन फिर खुली और एक घंटे बाद आरा आ गया , स्टेशन पर दादाजी और शर्मा नाना आये थे स्टेशन से निकलते ही गेट पर पोलियो ड्रॉप पिलाने वाले अंकल ने हमें रोका और पोलियो ड्रॉप पिलाया ( ६ दिसम्बर पोलियो डे था ). फिर हम अपने घर चल दिए , घर पहुचते ही सबने मुझ पर धावा बोल दिया ( गोद में लेने के लिए ) .
Thursday, December 31, 2009
दिल्ली से आरा की यात्रा
बहुत दिन के बाद आपसे मुखातिब हूँ . अब मै दिल्ली में नहीं बल्कि अपने दादा दादी के पास आरा में हूँ . सबसे पहले मै दिल्ली से आरा की यात्रा के बारे में बताउंगा . ५ दिसंबर को हम दिल्ली से श्रमजीवी एक्सप्रेस से आरा के लिए रवाना हुए . नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हम वेटिंग रूम में बैठे थे , वहा पर एक गाडी खड़ी थी , मैंने उस पर अपना हाथ अजमाया . ट्रेन सही समय पर आयी और हम आरा के लिए रवाना हो गए , मामा हमें स्टेशन तक छोड़ने आये थे .
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2 comments:
बहुत खूब, लाजबाब ! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
Sundar! Anek shubhkamnayen!
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